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CONTENTS
|हठयोग |यौगिक अभ्यास एवं  लक्ष्य| योग का नाम| Name of the Yoga|
Final attainment |

योग के प्रकार - 2

हठयोग

अन्य लिंक : पतंजलि योग | हठयोग | मन्त्र योग | लय योग |कर्म योग|ज्ञान योग|| भक्तियोग | ध्यानयोग |

हठयोग

हठयोग

(Analysis of HathaYoga as a Value & as a Practice) 

हठयोग के सर्वमान्य आधारभूतग्रन्थ हठयोगप्रदीपिका के अनुसार हठयोग वस्तुतः एवं का ऐक्य है इस ऐक्य को ही योग कहा गया है क्योंकि इसमें एवं का योग होता है इसलिये इसे हठयोग कहते हैं। से अभिप्राय सूर्य नाड़ी या पिंगला या दायाँ स्वर है एवं से अभिप्राय चन्द्र नाड़ी या इड़ा या वाम स्वर है।

दोनों स्वरों के मिलन से सुषुम्ना नाड़ी जाग्रत होती है, इस अवस्था को कुण्डली के जाग्रत होने की अवस्था भी कहा गया है। यही हठयोग का प्राप्तव्य है।

इस अवस्था को विभिन्न नामान्तरों से वर्णित कहा गया है -

  • मन की दृष्टि से इसे उन्मनी अवस्था या अमनस्क योग,

  • श्वास-प्रश्वास या प्राणायाम की दृष्टि से केवली-कुम्भक की अवस्था या

  • प्राणों का ब्रह्मरंन्ध में प्रविष्ट होने की अवस्था तथा ब्रह्मयोग,

  • नादानुसंधान की दृष्टि से लय की अवस्था तथा नादयोग तथा

  • खेचरी मुद्रा की दृष्टि से चैतन्यपूर्ण एवं शरीरविजय की अवस्था तथा खे-योग, एवं

  • वज्रोली आदि क्रियाओं की दृष्टि से भोग के साथ योग की अवस्था कहा गया है।

उपरोक्त अवस्थाओं एवं योग के प्रकारों का सारणीगत् विवरण अधोलिखित है -

 

S.

No

यौगिक अभ्यास एवं  लक्ष्य 

Yogic Practices and Aim

परममूल्य

Final attainment/

Value

योग का नाम

Name of the Yoga

1.

एवं का एक्य

समाधि अवस्था

हठयोग

2.

मन का विलीनीकरण

उन्मनी अवस्था

अमनस्कयोग

3.

इड़ा एवं पिंगला का योग

सुषुम्ना का जागरण

स्वरयोग

4.

कुण्डलिनी शक्ति का जागरण

स्थिर - ऊर्जा एवं चेतना की अवस्था

कुण्डलिनी योग

5.

केवलीकुम्भक, प्राणों का ब्रह्मरंध्र में धारण

कर्मक्षय, बन्धनक्षय, स्थिरचैतन्य की अवस्था

ब्रह्मयोग

6.

नादानुसंधान

नाद पर मन का लय

नादयोग

7.

खेचरी मुद्रा

चैतन्यपूर्ण अवस्था एवं शरीरविजय

खे-योग

8.

केवलीकुम्भक (5) + खेचरी मुद्रा  + वज्रोली आदि क्रियायें

भोग के साथ योग की स्थिति

राजयोग(?)

 Table : describing various Yogic practices, their final attainment value and names

in

Hatha Yoga Pradipika of Swatmaram (16-17 Cent. A.D.)

     
 
 

Authored & Developed By               Dr. Sushim Dubey

&दार्शनिक-साहित्यिक अनुसंधान                      ?  डॉ.सुशिम दुबे,                             G    Yoga

Dr. Sushim Dubey

® This study material is based on the courses  taught by Dr. Sushim Dubey to the Students of M.A. (Yoga) Rani Durgavati University, Jabalpur  and the Students of Diploma in Yoga Studies/Therapy of  Morarji Desai National Institute of Yoga, New Delhi, during 2005-2008 © All rights reserved.